एक बार गणेशजी ने भगवान शिवजी से कहा

एक बार गणेशजी ने भगवान शिवजी से कहा,
पिताजी ! आप यह चिताभस्म लगाकर, मुण्डमाला धारणकर अच्छे नहीं लगते, मेरी माता गौरी अपूर्व सुंदरी और आप उनके साथ इस भयंकर रूप में !

पिताजी आप एक बार कृपा करके अपने सुंदर रूप में माता के सम्मुख आएं, जिससे हम आपका असली स्वरूप देख सकें !

भगवान शिवजी ने गणेशजी की बात मान ली !

कुछ समय बाद जब शिवजी स्नान करके लौटे तो उनके शरीर पर भस्म नहीं थी , बिखरी जटाएं सँवरी हुई, मुण्डमाला उतरी हुई थी !

सभी देवता, यक्ष, गंधर्व, शिवगण उन्हें अपलक देखते रह गये, वो ऐसा रूप था कि मोहिनी अवतार रूप भी फीका पड़ जाये !

भगवान शिव ने अपना यह रूप कभी प्रकट नहीं किया था ! शिवजी का ऐसा अतुलनीय रूप कि करोड़ों कामदेव को भी मलिन कर रहा था !

गणेशजी अपने पिता की इस मनमोहक छवि को देखकर स्तब्ध रह गए और मस्तक झुकाकर बोले –
मुझे क्षमा करें पिताजी, परन्तु अब आप अपने पूर्व स्वरूप को धारण कर लीजिए !

भगवान शिव ने पूछा – क्यों पुत्र अभी तो तुमने ही मुझे इस रूप में देखने की इच्छा प्रकट की थी, अब पुनः पूर्व स्वरूप में आने की बात क्यों ?

गणेशजी ने मस्तक झुकाये हुए ही कहा – क्षमा करें पिताश्री मेरी माता से सुंदर कोई और दिखे मैं ऐसा कदापि नहीं चाहता !

और शिवजी मुस्कुराते हुए अपने पुराने स्वरूप में लौट आये !

कई संत महात्माओं ने अपने अनुभव से कहा है कि कर्पूरगौरं शंकर तो भगवान श्रीराम से भी सुंदर हैं परन्तु वह अपना निज स्वरूप कभी प्रकट नहीं करते क्योंकि इससे उनके प्रियतम आराध्य श्रीरामजी की सुंदरता के यश की प्रशंसा में कमी होगी !!

!! ॐ नमः शिवाय !!
!! जय जय श्री राम !!
!! जय जय श्री गणेश !!

One thought on “एक बार गणेशजी ने भगवान शिवजी से कहा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *