Sengol

What is the Sengol ? सेंगोल क्या है?

सेंगोल एक 5 फुट लंबा, 2 इंच मोटा सुनहरा राजदंड Golden Sceptre है

History इतिहास

Who gave the Sengol to Nehru ?

वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहलाल नेहरू जी को दिया

What is the History of Sengol ?

वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहलाल नेहरू जी से एक सवाल किया था “ब्रिटिश से भारतीय हाथों में सत्ता के हस्तांतरण के प्रतीक के रूप में किस राजदण्ड Sengol को देने का पालन करना चाहिए ? इस प्रश्न को लेकर नेहरू जी स्वतंत्रता सेनानी सी राजगोपालाचारी (राजाजी) से परामर्श करने के लिए गए तब राजाजी ने बताया

प्राचीन काल में भारत में ऐसा होता था कि जब राजा का राज्याभिषेक होता था, तो विधिपूर्वक राज्याभिषेक हो जाने के बाद राजा राजदण्ड लेकर राजसिंहासन पर बैठता था।

चोल काल के दौरान ऐसे ही राजदंड का प्रयोग सत्ता हस्तांतरण को दर्शाने के लिए किया जाता था। उस समय पुराना राजा नए राजा को इसे सौंपता था। राजदंड Sengol सौंपने के दौरान 7वीं शताब्दी के तमिल संत थिरुग्नाना संबंदर द्वारा रचित एक विशेष गीत का गायन भी किया जाता था।

राजाजी ने चोल कालीन समारोह का प्रस्ताव दिया जहां एक राजा से दूसरे राजा को सत्ता का हस्तांतरण उच्च पुरोहितों की उपस्थिति में पवित्रता और आशीर्वाद के साथ पूरा किया जाता था। राजाजी ने तमिलनाडु के तंजौर जिले में शैव संप्रदाय के धार्मिक मठ – थिरुववादुथुराई अधीनम से संपर्क किया। थिरुववादुथुराई अधीनम 500 वर्ष से अधिक पुराना है और पूरे तमिलनाडु में 50 शाखा मठों को संचालित करता है। अधीनम के नेता ने तुरंत पांच फीट लंबाई के ‘सेंगोल’ तो तैयार करने के लिए चेन्नई में सुनार वुम्मिदी बंगारू चेट्टी को नियुक्त किया।

Where is Sengol now? सेंगोल अभी कहां है?

उन्होंने कहा, “यह (सेंगोल) सोने की पॉलिश के साथ 162 सेंटीमीटर लंबी छड़ी है। इसे 4 नवंबर, 2022 को राष्ट्रीय संग्रहालय में स्थानांतरित कर दिया गया था।” प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने अमृत काल के राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में सेंगोल को अपनाने का निर्णय लिया।

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